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पितरों का करें श्राद्ध
8 October, 2018
पितरों का करें श्राद्ध
8 अक्टूबर आखिरी श्राद्ध, पितृ अमावस्या को ज्ञात-अज्ञात पितरों का करें श्राद्ध
सर्वपितृ अमावस्या इस बार 8 अक्टूबर सोमवार को है। पितृपक्ष का समापन आश्विन माह की कृष्ण अमावस्या के दिन होता है जो कि श्राद्ध का अंतिम दिन होता है यानी अमावस्या से पितृ पक्ष समाप्त हो जाएगा। इस अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या या पितृमोक्ष अमावस्या या पितृ अमावस्या या महालय अमावस्या भी कहते हैं। पं. नरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के अनुसार, सर्वपितृ अमावस्या के दिन ज्ञात-अज्ञात पितरों का श्राद्ध किया जाता है। यानी जिन पितरों का नाम याद न हो या उनके बारे में कोई जानकारी न हो ऐसे पितरों का श्राद्ध अमावस्या को करते हैं। महालया, नवरात्र के प्रारंभ और पितृपक्ष के अंत का प्रतीक है। इस दिन पितृ हमसे विदा लेते हैं। इसलिए इस दिन सभी पितरों का स्मरण करना चाहिए।
जो लोग अन्य तिथियों में अपने पूर्वजों का तर्पण नहीं कर पाते वे पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए इसी दिन श्राद्ध करते हैं। यदि पितरों की मृत्यु तिथि याद नहीं है तो भी श्राद्ध इसी दिन किया जा सकता है। इसी वजह से इसे सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या कहा जाता है। इस दिन सूर्योदय के समय सूर्य को जल अर्पित करें। पवित्र नदियों में स्नान करें। घर में बने भोजन में से सर्वप्रथम गाय के लिए, फिर श्वान के लिए, कौए के लिए, चीटियों के लिए भोजन का अंश प्रदान करें। पितरों को श्रद्धापूर्वक विधि-विधान से विदा करें और उनसे आशीर्वाद की प्रार्थना करें। इस दिन पितरों के निमित्त खीर बनाएं। नारियल पर सिंदूर से स्वास्तिक बनाकर नारियल हनुमान मंदिर में अर्पित करें....!!