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विवाह
9 July, 2019
विवाह
विवाह विवाह का सप्तम भाव प्रमुख है तथा दूसरा और एकादश भाव सहायक भाव हैं। सप्तम भाव कानूनी एवं सामाजिक मान्यता प्राप्त विवाह का है, दूसरा भाव विवाह के फल स्वरूप कुटुम्ब में कमी या बढ़त का है तथा एकादश भाव लम्बी मित्रता एवं लगाव का है।
कृष्णामूर्ति पद्धति में यदि सप्तम भाव का उपनक्षत्र जिस ग्रह के नक्षत्र में है वह यदि दूसरे, सप्तम या एकादश भाव का कारक है तो उसकी शादी होती है, अन्यथा नहीं। यदि 4, 6, 10 या 12 भाव का कारक है तो उसकी शादी नहीं होती।
यदि 2, 7 या 11 भाव का कारक होते हुए भी 4, 6, 10, 12 का भी कारक है तो शादी तो होती है किन्तु वैचारिक मतभेद होने के कारण तलाक या सम्बन्ध विच्छेद हो जाता है। यदि सप्तम भाव का उप नक्षत्र बुध है तो उसकी दो शादियों की सम्भावना रहती है।
यदि सप्तम भाव का उपनक्षत्र बुध के नक्षत्र में हो तो भी 2 शादियो की सम्भावना रहती है।
यदि सप्तम भाव का उपनक्षत्र जिस ग्रह के नक्षत्र में हो वह द्विशरीरी राशियों 3, 9 या 12 वीं राशि में स्थित हो तो भी 2 शादियों की सम्भावना रहती है। दूसरी शादी के लिये द्वितीय भाव का उपनक्षत्र जिस ग्रह के नक्षत्र में है वह यदि सप्तम भाव का कारक है तो दूसरी शादी होती है अन्यथा नहीं। यदि वह एकादश भाव का कारक है तो वह पत्नी के रहते या न रहते हुए भी रखैल रखता है।
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