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कुंड़ली में ग्रहों के शुभ-अषुभ प्रभाव व्यक्ति के जीवन में गहरा असर दिखाते है। कुंड़ली की अनुकूलता और प्रतिकूलता व्यक्ति के जीवन के साथ ही बनती है। ज्योतिष में कुंडली के अषुभ प्रभावों को कम करने के लिए श..
के. पी. एक्सक्लुसिव- कृष्णामूर्ति पद्धति का ही उन्नत संस्करण है। इसमें उपनक्षत्रों व भावों के समायोजन से फलादेश की विधि बताई है। इस किताब में कृष्णामूर्ति पद्धति के अचूक विषयों को प्रदर्शित क..
ज्योतिष व वास्तु का मेल ही एस्ट्रो-वास्तु है। एस्ट्रो-वास्तु पर काम करते समय जन्म कुंड़ली व प्रश्न कुंड़ली के साथ-साथ वास्तु नक़्शे का होना आवश्यक है। एस्ट्रो-वास्तु दोनों अपने आपमे पूर्ण विषय है। जातक क..
श्री कृष्णामूर्ति पद्धति जी ने वैदिक और पाष्चात्य् ज्योतिष का गहन अध्धयन करके उसमे अपने कुछ नवीन शोध किए और प्राप्त निष्कर्ष को ’कृष्णामूर्ति पद्धति‘ का नाम दिया। वैदिक ज्योतिष में 27 नक्षत्र होते है।..
ज्योतिष शास्त्र का विकास मानव जीवन के विकास के साथ हुआ, मनुष्य का स्वभाव जिज्ञासाओं से भरा हुआ है। वह सृष्टि की प्रत्येक घटना को अपने जीवन का तादात्मय संबंध बना कर देखता है। मानव की उपर्युक्त जिज्ञासा..
हमारे प्राचीन शास्त्रों व परंपराओं में चली आ रही लोक श्रुतियां इस बात का प्रमाण है कि रत्न एक प्राचीन विज्ञान है। आधुनिक समय में रत्नों को सौंदर्य, ग्रहों की शक्ति व मनुष्य के मन पर गहरी छाप छोड़ते देख..
आई. आई. ए. जी संस्थान द्वारा प्रकाशित वैदिक एवं आधुनिक वास्तु नियम इस पुस्तक में समाहित है। प्राचीन वास्तु व आधुनिक वास्तु का कैसे तालमेल होता है, इस बात पर विशेष ध्यान दिया है। इस पुस्तक में पंचतत्व ..