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करवा चौथ पर्व
16 October, 2019
करवा चौथ पर्व
करवा चौथ पर्व भारत
में उत्तर प्रदेश, पंजाब, राजस्थान और गुजरात में मुख्य रूप से मनाया जाता
है। ये व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी तिथि को
किया जाता है। वामन पुराण में करवा चौथ व्रत का वर्णन आता है। करवा चौथ स्त्रियों का सर्वाधिक प्रिय व्रत है।
वैसे तो हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को गणेश जी और चंद्रमा का व्रत किया जाता
है, लेकिन इनमें करवा
चौथ का महत्त्व ज्यादा है। इस दिन सौभाग्यवती स्त्रियां सुहाग यानी पति की लंबी
उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और
परिवार की समृद्धि की मंगलकामना के लिए यह व्रत करती हैं।
करवा चौथ एक ऐसा
फेस्टिवल है, जिसका इंतजार लगभग सभी शादीशुदा महिलाओं को होता
है| इस दिन सुहागनें अपने पति की लंबी उम्र के लिए
प्रार्थना करती हैं| हिंदू मान्यता के अनुसार करवा चौथ महज एक व्रत नहीं है, यह पति-पत्नी के रिश्ते का जश्न है उसकी मर्यादा
और स्नेह के अनोखे संतुलन का एक खूबसूरत त्यौहार है|
करवा चौथ व्रत के
दौरान ध्यान रखने वाली खास बातें
सरगी का उपहार
सरगी से ही करवा चौथ
के व्रत का प्रारंभ माना गया है। हर सास अपनी बहू को सरगी देती है और व्रत पूर्ण
होने का आशीर्वाद देती है। सरगी में मिठाई, फल आदि होता है, जो सूर्योदय के समय बहू व्रत से पहले खाती है, जिससे पूरे दिन उसे ऊर्जा मिलती है ताकि वह व्रत
आसानी से पूरा कर सके।
निर्जला व्रत का
विधान
करवा चौथ का व्रत
निर्जला रखा जाता है, इसमें
व्रत रखने वाले व्यक्ति को पूरे दिन तक कुछ भी खाना और पीना वर्जित रहता है। जल का
त्याग करना होता है। व्रती अपने कठोर व्रत से माता गौरी और भगवान शिव को प्रसन्न
करने का प्रयास करते हैं, ताकि
उन्हें अखंड सुहाग और सुखी दाम्पत्य जीवन का आशीर्वाद मिले।
शिव और गौरी की पूजा
करवा चौथ के व्रत
में सुबह से ही श्री गणेश, भगवान
शिव और माता गौरी की पूजा की जाती है, ताकि उन्हें अखंड सौभाग्य, यश एवं कीर्ति प्राप्त हो सके। पूजा में माता
गौरी और भगवान शिव के मंत्रों का जाप किया जाता है।
शिव-गौरी की मिट्टी
की मूर्ति
करवा चौथ में पूजा
के लिए शुद्ध पीली मिट्टी से शिव, गौरी
एवं गणेश जी की मूर्ति बनाई जाती है। फिर उन्हें चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर स्थापित
किया जाता है। माता गौरी को सिंदूर, बिंदी, चुन्नी तथा भगवान शिव को चंदन, पुष्प, वस्त्र आदि पहनाते हैं। श्रीगणेशजी उनकी गोद में
बैठते हैं।
कथा का श्रवण
दिन में पूजा की
तैयारी के बाद शाम में महिलाएं एक जगह एकत्र होती हैं। वहां पंडितजी या उम्रदराज
महिलाएं करवा चौथ की कथा सुनाती हैं। इसके बाद चांद के निकलने पर उसे अर्घ्य देना
चाहिए। इसके बाद पानी पीकर अपना व्रत खोलती हैं।
करवा चौथ एक ऐसा फेस्टिवल है, जिसका इंतजार लगभग सभी शादीशुदा महिलाओं को होता है| इस दिन सुहागनें
अपने पति की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं| हिंदू मान्यता
के अनुसार करवा चौथ महज एक व्रत नहीं है, यह पति-पत्नी के
रिश्ते का जश्न है| उसकी मर्यादा और स्नेह के अनोखे संतुलन का एक खूबसूरत
त्यौहार है|