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गौ माता की पूजा
28 October, 2017
गौ माता की पूजा
गोपाष्टमी : गौ माता की पूजा का पावन पर्व
दीपावली के बाद आने वाली कार्तिक शुक्ल अष्टमी को गोपाष्टमी पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस दिन गो, ग्वाल और भगवान श्रीकृष्ण का पूजन करने का महत्व है। इस वर्ष यह पर्व 28 अक्टूबर 2017 को मनाया जाएगा। हिन्दू धर्म में गाय को माता का स्थान दिया गया है। अत: गाय को गौ माता (गौमाता) भी कहा जाता है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने गौ चारण लीला शुरू की थी। कार्तिक शुक्ल अष्टमी के दिन मां यशोदा ने भगवान कृष्ण को गौ चराने के लिए जंगल भेजा था। आइए जानें कैसे मनाएं गोपाष्टमी का यह पावन पर्व?
* कार्तिक शुक्ल अष्टमी के दिन प्रात:काल में उठकर नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नानादि करके स्वच्छ धुले हुए वस्त्र धारण करें।
* तत्पश्चात प्रात:काल में ही गायों को भी स्नान आदि कराकर गौ माता के अंग में मेहंदी, हल्दी, रंग के छापे आदि लगाकर सजाएं।
* इस दिन बछड़े सहित गाय की पूजा करने का विधान है।
* प्रात:काल में ही धूप-दीप, अक्षत, रोली, गुड़ आदि वस्त्र तथा जल से गाय का पूजन किया जाता है और धूप-दीप से आरती उतारी जाती है।
* इस दिन कई व्यक्ति ग्वालों को उपहार आदि देकर उनका भी पूजन करना चाहिए।
* इस दिन गायों को खूब सजाया-संवारा जाता है।
* इसके बाद गाय को चारा आदि डालकर उनकी परिक्रमा करते हैं। परिक्रमा करने के बाद कुछ दूर तक गायों के साथ चलते हैं।
* संध्याकाल में गायों के जंगल से वापस लौटने पर उनके चरणों को धोकर तिलक लगाने का महत्व है।
इस संबंध में ऐसी आस्था भी है कि गोपाष्टमी के दिन गाय के नीचे से निकलने वालों को बड़ा पुण्य मिलता है।
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