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ज्योतिषीय उपाय
13 February, 2023
ज्योतिषीय उपाय
1. सूर्य का नीच होना जातक को निर्धन करता है।
2. सूर्य तुला राशि में साधू-संतों से प्रीति करने वाला बनाता है।
3. चन्द्रमा जब लग्नेश होकर नीच हो जलोदर आदि जल के रोग देता है।
4. चन्द्रमा यदि पंचम में हो, तो जातक के लड़कियां अधिक होती है और लड़का कठिनता से एक ही।
5. मीन लग्न में यदि सप्तम में बुध स्थित हो, तो शादी कम उम्र में हो जाती है।
6. किसी भी कुण्ड़ली में मिथुन राशि तथा उसका स्वामी बुध प्रबल पाप प्रभाव में हो, तो मिथुन जिस भाव से तृतीय स्थान में पड़ती हो, उस के जीवन को भय होता है और मिथुन राशि जिस भाव से अष्टम में हो, उसके जीवन को भी भय होता है।
7. यदि जन्म कुण्ड़ली में शुक्र और केतु एक ही राशि में हो, तो जातक परस्त्री पर कुदृष्टि ड़ालने वाला होता है।
8. द्वादश भाव में सभी ग्रह निर्बल हो जाते है। किन्तु शुक्र ही ऐसा ग्रह है, जो द्वादश भाव में प्रबल हो जाता है। कारण यह है कि द्वादश भाव भोगात्मक है तथा शुक्र भी भोगात्मक ग्रह है। अतः अनुकूलता की प्राप्ति के कारण द्वादश भाव में स्थित शुक्र बहुत बलवान हो जाता है।
9. धन भाव का स्वामी यदि द्वादश भाव में स्थित हो, तो धन के लिए अशुभ फल देता है, किन्तु शुक्र इस नियम का भी अपवाद है।
10. शुक्र यदि द्वादश भाव में हो, तो धनदायक हो जाता है। किन्तु यह शुक्र शनि की राशि या नवांश में कोई भी नैसर्गिंक पापी ग्रह (मंगल, शनि, सूर्य, क्षीण चन्द्र) एकादश होकर पंचम में स्थित होता है, तो वह बड़े भाइयों की मृत्यु का सूचक होता है।
11. कोई भी नैसर्गिंक पापी ग्रह अपने भाव से सप्तम भाव में स्थित होकर अपने भाव पर दृष्टि ड़ाले, तो दृष्ट भाव के जीवन का नाश होता है। किन्तु उस भाव के अन्य विषयों में वृद्धि करता है।
12. लग्न से तृतीय स्थान में शनि के कारण मृत सन्तानों की प्राप्ति होती है। केवल एक सन्तान दीर्घजीवी होती है। तृतीय भाव से पंचम एवं नवम भाव को तृतीय व सप्तम दृष्टि से पीड़ित करता है।
’तृतीय शनि दोषेण सीमन्त सुत नाशनम’।
13. गोचर में जब शनि एकादश भाव को देख रहा हो, तब माता की मृत्यु कहनी चाहिए-लाभ स्थान मातृ भाव चतुर्थ से अष्टम होने के कारण माता के लिए मृत्यु प्रद है।
14. जिस प्रकार का ग्रह लग्न में होगा, उसी प्रकार की व्याधि शरीर में होगी। जैसे-सूर्य से पित्त, शनि से वायु-गैस आदि।
15. राहु अपनी दशा या भुक्ति में धन का बटँवारा कराता है।
16. केतु अपनी दशा में जो कुछ देता है, अन्त में सब कुछ ले लेता है।
17. लग्न में राहु व चन्द्रमा दोनों हो, तो जातक मूर्ख स्वभाव का व्यक्ति होता है।
18. राहु व चन्द्रमा जन्मपत्री में कहीं भी साथ हो, तो व्यक्ति आजीवन परेशान रहता है।
19. लग्नेश अगर छठे भाव में हो, तो व्यक्ति बीमार रहता है।
20. लग्नेश अगर अष्टम भाव में हो, तो जीवन में एक्सीड़ेन्ट का खतरा होता है।