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बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया
5 January, 2021
बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया
बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया
मुंबई में 26.03.1969 को शाम 06:30 बजे एक दम्पति मेरे पास यह जानने के लिए आये कि उन्हें संतान होगी
या नहीं ?
ज्योतिष में कृष्णा
मूर्ति पद्धति ऐसे प्रश्नों के सटीक उत्तर देने मे सक्षम है।
क्या उन्हें संतान गोद
लेनी होगी ?
प्रश्न - कुंडली बनाने के लिए उन से 1 और 249 के बीच कोई संख्या पूछी
तो उन्हों 247 नंबर दिया । 247 नम्बर
की प्रश्न कुण्डली ने यह रहस्योद्घाटन किया।
जातक में प्रजनन क्षमता
है या नहीं इसके लिए जातक का 5वां भाव महत्वपूर्ण होता है। 11वां
भाव जीवनसाथी के भाव (7वां) से 5वां
भाव है । अतः 11वां भाव जीवनसाथी की प्रजनन क्षमता दर्शाता
है। यदि 5वें तथा 11वें भाव प्रारम्भ
(कस्प) अनुकूल नहीं हैं तो पति पत्नी दोनों बंध्य हैं। ऐसे दम्पति यदि बच्चा चाहते
हैं तो किसी बच्चे को गोद लेने के अतिरिक्त उनके पास कोई रास्ता नहीं हैं।
जन्म समय निर्धारित करने के लिए 2, 5 तथा 11 भावों के कारकों को
देखना चाहिए। इन्हीं कारकों की समकालीन दशांतर प्रत्यंतर में ही जातक के बच्चे का
जन्म होगा। कोई भी व्यक्ति तभी प्रजनन योग्य होगा जब कुंडली में यह तीनों
परिस्थितियां एक साथ पूरी हो रही हों-
1. 5वें भाव का उपस्वामी वक्री न
हो।
2. 5वें भाव का उपस्वामी वक्री
ग्रह के नक्षत्र में न हो।
3. यह उपस्वामी 2, 5 या 11वें भाव का कारक हो।
यदि उपरोक्त तीनों में से
कोई भी एक परिस्थिति पूरी नहीं हो रही हो तो जातक बंध्य होगा। जीवन साथी की प्रजनन
क्षमता के निर्धारण के लिए 11वें भाव
का उपस्वामी देखना चाहिए कि उपरोक्त तीनों शर्तें एक साथ पूरी हो रहीं हैं या
नहीं।
तीनों शर्तें पूरी होने पर ही जीवनसाथी की
प्रजनन क्षमता सुनिश्चित होगी अन्यथा नहीं।
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पति में प्रजनन क्षमता के
लिए 5वें भाव को देखते हैं। 5वें भाव प्रारंभ में कर्क 15अंश 17कला पर चंद्र की राशि, शनि के नक्षत्र एवं गुरु के
उपनक्षत्र में है। गुरु वक्री है अतः पति बंध्य होगा।
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पत्नी की प्रजनन क्षमता
के लिए 11वां भाव देखते हैं जो 15 अंश 17 कला पर मकर है। शनि की राशि, चंद्र का नक्षत्र, गुरु का उपनक्षत्र है। गुरु वक्री
है अतः पत्नी भी प्रजनन योग्य नहीं है।
चूंकि पति पत्नी दोनो बंध्य हैं और यदि वे
बच्चा चाहते हैं तो उन्हें एक बच्चा गोद लेना होगा।
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कोई विशेष बच्चा गोद लेने
योग्य है या नहीं, इसके लिए बच्चे की कुंडली के चैथे भाव का
निर्धारण करेंगे। यदि चैथे भाव का उपस्वामी किसी द्विस्वभाव राशि में है या यह
उपस्वामी बुध है तथा यह उपस्वामी 8वें भाव का कारक है तो
बच्चा गोद लिया जा सकता है।
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8वां भाव यहां दो भूमिकाएं निभाता है। एक कानून संबंधी ( गोद लिए जाने
वाले बच्चे का गोद लेने वाले पिता की सम्पत्ति पर कानूनी अधिकार बनता है) दूसरी भूमिका में यह बच्चे को स्वयं के पिता से
अलग होना दिखाता है। (8वां भाव 9वें से 12वां भाव है)
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4था भाव माता का है तथा इसका उपस्वामी यह निश्चित करता है कि वह बच्चा
गोद लिया जाएगा या नहीं। एक प्रश्न यह उठता है कि 4था भाव
क्यों देखा जा रहा है और 9वां क्यों नहीं ? इसका उत्तर यह है कि मातृत्व निश्चित होता है और पितृत्व नहीं।