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हस्त मुद्रा द्वारा करे रोग निवारण
27 February, 2023
हस्त मुद्रा द्वारा करे रोग निवारण
हस्त मुद्रा चिकित्सा के अनुसार हाथ की पांचों उंगलियां पांच तत्त्वों का प्रतिनिधित्व करती हैं और ब्रह्मांडीय ऊर्जा के माध्यम से इन तत्त्वों को बल देती रहती हैं। हाथों की उंगलियों को आपस में जोड़कर भिन्न-भिन्न मुद्राएं बनाई जाती हैं। ये अद्भुत मुद्राएं करते ही अपना असर दिखाना शुरू कर देती हैं। मुद्रा शास्त्र में देव पूजन, हवन, मंत्र जप, देवी साधना आदि में अनेक प्रकार की मुद्राओं का प्रयोग किया जाता है। मुद्राओं के प्रयोग के बिना पूजन का पूर्ण फल प्राप्त नहीं हो पाता है। मुद्राओं का प्रयोग केवल पूजन में ही नहीं अपितु रोग निवारण में भी किया जाता है। पद्मासन, स्वस्तिकासन, सुखासन, वज्रासन में करने से जिस रोग के लिए जो मुद्रा वर्णित है उसको इस भाव से करें कि मेरा रोग ठीक हो रहा है, तब ये मुद्राएं शीघ्रता से रोग को दूर करने में लग जाती हैं। बिना भाव के लाभ अधिक नहीं मिल पाता। दिन में 20-30 मिनट तक एक मुद्रा को किया जाए तो पूरा लाभ प्राप्त हो जाता है।
मुख्य रूप से 11 तरह की मुद्राएँ बताई गई हैं। जो निम्न हैं :
1. ज्ञान मुद्रा या ध्यानमुद्रा
2. वायु मुद्रा
3. शून्य मुद्रा
4. पृथ्वी मुद्रा
5. प्राण मुद्रा
6. अपान मुद्रा
7. अपान वायु मुद्रा
8. सूर्य मुद्रा
9. वरुण मुद्रा
10. लिंग मुद्रा
11. धारणा शक्ति मुद्रा
आयुर्वेद में बताया गया है कि यह समूचा ब्रम्हांड पांच तत्वों से बना हुआ है। यहां तक कि हमारा शरीर भी इन्हीं पांच तत्वों से ही बना हुआ है। आपके हाथ की पांच उंगलियाँ अलग अलग तत्वों का प्रतिनिधित्व करती हैं।
1. अंगूठा : अग्नि
2. तर्जनी : वायु
3. मध्यमा या बीच वाली ऊँगली : आकाश
4. अनामिका : पृथ्वी
5. कनिष्ठा या छोटी ऊँगली : जल
जब ये पाँचों तत्व साम्यावस्था में रहते हैं तो शरीर एकदम निरोग रहता है और इनके असंतुलित होने पर रोग उत्पन्न हो जाते हैं। मुद्रा विज्ञान के अनुसार इन्हीं पांच तत्वों के सम्मिलित रूप से शरीर की आन्तरिक ग्रंथियां, अवयवों और उनकी क्रियाओं को नियमित किया जाता है।