कृष्ण जन्माष्टमी

10 August, 2020
कृष्ण जन्माष्टमी

जन्माष्टमी मनाई कब जाती हैं

जन्माष्टमी हिन्दू कैलेंडर के अनुसार श्रावण मास की पूर्णिमा के बाद आठवे दिन मनाई जाती है, या यह भी कह सकते है कि भाई बहन के सबसे बड़े त्यौहार रक्षाबंधन के बाद ठीक आठवे दिन कृष्ण जन्म अष्टमी मनाई जाती है| हर साल जन्माष्टमी अगस्त, सितंबर के महीने मे ही आती है| हर साल की ही तरह इस साल भी 12 अगस्त 2020 को जन्म अष्टमी का उत्सव मनाया जाएगा| वही दही हांड़ी या गोकुल अष्टमी 1113 अगस्त को है| भक्त अपने कान्हा का जन्मोत्सव इसी दिन करेंगे तथा भक्ति मे लीन हो जाएंगे और  कान्हा अपने भक्तो पर अपनी कृपा बरसाएँगे| जन्माष्टमी पंचांग के अनुसार 11 अगस्त को सुबह 9 बजकर 05 मिनट के बाद अष्टमी तिथि का आरंभ हो रहा है, जो कि 12 अगस्त को 11 बजकर 20 मिनट तक रहेगी| जन्माष्टमी के दिन श्रीकृष्ण की पूजा की समयावधि अर्धरात्रि 12 बजकर 5 मिनट से 12 बजकर 50 मिनट तक है|

श्री कृष्ण जन्माष्टमी की कथा

श्री कृष्ण वसुदेव तथा देवकी की आठवी संतान थे, परंतु श्री कृष्ण के जन्म के तुरंत बाद वसुदेव जी उन्हे कंस से सुरक्षित रखने के लिए अपने मित्र नन्द बाबा के घर छोड़ आये थे इसलिए श्री कृष्ण का लालन पोषण नन्द बाबा तथा यशोदा मैया ने किया| उनका सारा बचपन गोकुल मे बीता| उन्होने अपनी बचपन की लीलाए गोकुल मे ही रचाई तथा बड़े होकर अपने मामा कंस का वध भी किया|

 

श्री कृष्ण जी को भगवान विष्णु का अवतार भी माना जाता है| भारत विभिन्नता  मे समानता का देश है, इसी का उदहारण है कि जन्माष्टमी को कई नामो से जाना जाता है|

जैसे-

·         अष्टमी रोहिणी

·         श्री जयंती

·         कृष्ण जयंती

·         रोहिणी अष्टमी

·         कृष्णाष्टमी

·         गोकुलाष्टमी

 

कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि कैसे करे

श्री कृष्ण का जन्म वासुदेव तथा देवकी के घर रात्रि 12 बजे हुआ था इसलिए पूरे भारत मे कृष्ण जन्म को रात्री मे ही 12 बजे मनाया जाता है|

हर साल भादव मास की अष्टमी के दिन रात्रि मे 12 बजे हर मंदिर तथा घरो मे प्रतीक के रूप मे लोग श्री कृष्ण का जन्म  करते है|

जन्म के बाद उनका दूध, दही तथा शुद्ध जल से अभिषेक करते है, तथा माखन मिश्री, पंजरी तथा खीरा ककड़ी का भोग लगाते है|

तत्पश्चात कृष्ण जी की आरती करते है, कुछ लोग खुशी मे रात भर भजन कीर्तन करते तथा नाचते गाते है|

माखन मिश्री कृष्ण जी को बहुत प्रिय था| अपने बाल अवतार मे उन्होने इसी माखन के लिए कई गोपियो की मटकिया फोड़ी थी और कई घरो से माखन चुरा कर खाया था इसलिए उन्हे माखन चोर भी कहा जाता है और इसी लिए उन्हे माखन मिश्री का भोग मुख्य रूप से लगाया जाता है|

कई जगह पर मटकी फोड़ प्रतियोगिता भी की जाती है, इसमे एक मटकी मे माखन मिश्री भरकर इसे ऊँची रस्सी पर बांध दिया जाता है और विभिन्न जगह से मंडलीया आकर इसे तोड़ने का प्रयास करती है और कृष्ण जन्म उत्सव मनाती है|

कुछ लोग इस दिन पूरे दिन का व्रत/उपवास रखते है और कृष्ण जन्म के पश्चात भोजन गृहण करते है| इस दिन के व्रत/उपवास की विधि एकदम साधारण होती है कुछ लोग निराहार रहकर व्रत करते है, तो कुछ लोग फल खाकर व्रत करते है, तो कुछ लोग फरियाल खाकर व्रत/उपवास करते है क्योकि व्रत/उपवास के लिए कोई नियम नहीं है| श्रद्धालु अपनी इच्छा अनुसार व्रत/उपवास कर सकते है और श्री कृष्ण की भक्ति कर सकते है|

यह बात हमेशा याद रखिए कि अगर आप व्रत/करने मे समर्थ नहीं है, तो व्रत/उपवास करना जरूरी नहीं है| आप अपने मन मे श्रद्धा रखकर भी पूजन करते है, तो माखन चोर कान्हा आप पर कृपा करते है| आपकी भक्ति को स्वीकार करते है और आपको अपना परम आशीर्वाद  देते है|

व्रत-पूजन कैसे करें  

1. उपवास की पूर्व रात्रि को हल्का भोजन करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।

2. उपवास के दिन प्रातःकाल स्नानादि नित्यकर्मों से निवृत्त हो जाएं।

3. पश्चात सूर्य, सोम, यम, काल, संधि


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