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कृष्णजन्माष्टमी
23 August, 2019
कृष्णजन्माष्टमी
कृष्णजन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण का जनमोत्स्व है। योगेश्वर कृष्ण
के भगवद गीता के उपदेश अनादि काल से जनमानस के लिए जीवन दर्शन प्रस्तुत करते रहे
हैं। जन्माष्टमी भारत में हीं नहीं बल्कि विदेशों में बसे भारतीय भी इसे पूरी
आस्था व उल्लास से मनाते हैं। श्रीकृष्ण ने अपना अवतार भाद्र माह की कृष्ण पक्ष की
अष्टमी को मध्यरात्रि को अत्याचारी कंस का विनाश करने के लिए मथुरा में लिया।
चूंकि भगवान स्वयं इस दिन पृथ्वी पर अवतरित हुए थे अत: इस दिन को कृष्ण जन्माष्टमी
के रूप में मनाते हैं। इसीलिए श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर मथुरा नगरी भक्ति
के रंगों से सराबोर हो उठती है।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पावन मौके पर भगवान
कान्हा की मोहक छवि देखने के लिए दूर दूर से श्रद्धालु आज के दिन मथुरा पहुंचते
हैं। श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर मथुरा कृष्णमय हो जाता है। मंदिरों को खास तौर पर
सजाया जाता है। ज्न्माष्टमी में स्त्री-पुरुष बारह बजे तक व्रत रखते हैं। इस दिन
मंदिरों में झांकियां सजाई जाती है और भगवान कृष्ण को झूला झुलाया जाता है। और
रासलीला का आयोजन होता है।
कृष्ण जन्माष्टमी पर भक्त भव्य चांदनी चौक, दिल्ली (भारत) की खरीदारी सड़कों पर कृष्णा झुला,] श्री लाडू गोपाल के लिए कपड़े और उनके प्रिय भगवान
कृष्ण को खरीदते हैं। सभी मंदिरों को खूबसूरती से सजाया जाता है और भक्त आधी रात
तक इंतजार करते हैं ताकि वे देख सकें कि उनके द्वारा बनाई गई खूबसूरत खरीद के साथ
उनके बाल गोपाल कैसे दिखते हैं।
जन्माष्टमी का महत्व
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पूरे भारत वर्ष
में विशेष महत्व है. यह हिन्दुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है. ऐसा माना
जाता है कि सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में आठवां
अवतार लिया था. देश के सभी राज्य अलग-अलग तरीके से इस महापर्व को मनाते
हैं. इस दिन क्या बच्चे क्या बूढ़े सभी अपने आराध्य के जन्म की खुशी में दिन
भर व्रत रखते हैं और कृष्ण की महिमा का गुणगान करते हैं. दिन भर घरों और मंदिरों
में भजन-कीर्तन चलते रहते हैं. वहीं,
मंदिरों में झांकियां निकाली जाती हैं और स्कूलों
में श्रीकृष्ण लीला का मंचन होता है.
जन्माष्टमी का व्रत
कैसे रखें?
जन्माष्टमी का त्योहार पूरे देश में धूम-धाम
से मनाया जाता है. इस दिन लोग दिन भर व्रत रखते हैं और अपने आराध्य श्री कृष्ण
का आशीर्वाद पाने के लिए उनकी विशेष पूजा-अर्चना करते हैं. सिर्फ बड़े ही नहीं बल्कि
घर के बच्चे और बूढ़े भी पूरी श्रद्धा से इस व्रत को रखते हैं. जन्माष्टमी का
व्रत कुछ इस तरह रखने का विधान है:
- जो भक्त जन्माष्टमी का व्रत रखना चाहते हैं उन्हें
एक दिन पहले केवल एक समय का भोजन करना चाहिए.
- जन्माष्टमी के दिन सुबह स्नान करने के बाद भक्त
व्रत का संकल्प लेते हुए अगले दिन रोहिणी नक्षत्र और अष्टमी तिथि के खत्म होने
के बाद पारण यानी कि व्रत खोला जाता है.
जन्माष्टमी की पूजा
विधि
जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण की पूजा का
विधान है. अगर आप अपने घर में कृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव मना रहे हैं तो इस
तरह भगवान की पूजा करें:
- स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
- अब घर के मंदिर में कृष्ण जी या लड्डू गोपाल की
मूर्ति को सबसे पहले गंगा जल से स्नान कराएं.
- इसके बाद मूर्ति को दूध, दही, घी,
शक्कर,
शहद और केसर के घोल से स्नान कराएं.
- अब शुद्ध जल से स्नान कराएं.
- इसके बाद लड्डू गोपाल को सुंदर वस्त्र पहनाएं और उनका
श्रृंगार करें.
- रात 12 बजे भोग लगाकर लड्डू गोपाल की पूजन करें और फिर
आरती करें.
- अब घर के सभी सदस्यों में प्रसाद का वितरण करें.
- अगर आप व्रत कर रहे हैं तो दूसरे दिन नवमी को व्रत
का पारण करें.
श्रीकृष्ण की आरती
आरती युगलकिशोर की कीजै, राधे धन न्यौछावर कीजै।
रवि शशि कोटि बदन की शोभा, ताहि निरिख मेरो मन लोभा।।
।।आरती युगलकिशोर…।।
गौरश्याम मुख निरखत रीझै, प्रभु को रुप नयन भर पीजै।।
।।आरती युगलकिशोर…।।
कंचन थार कपूर की बाती . हरी आए निर्मल भई
छाती।।
।।आरती युगलकिशोर…।।
फूलन की सेज फूलन की माला . रत्न सिंहासन बैठे
नंदलाला।।
।।आरती युगलकिशोर…।।
मोर मुकुट कर मुरली सोहै,नटवर वेष देख मन मोहै।।
।।आरती युगलकिशोर…।।
ओढे नील पीट पट सारी . कुंजबिहारी गिरिवर
धारी।।
।।आरती युगलकिशोर…।।
श्री पुरषोत्तम गिरिवरधारी. आरती करत सकल
ब्रजनारी।।
।।आरती युगलकिशोर…।।
नन्द -नंदन ब्रजभान किशोरी . परमानन्द स्वामी
अविचल जोरी।।
।।आरती युगलकिशोर…।।