गणेश उत्सव

30 August, 2017
गणेश उत्सव
नमस्कार मित्रों,
आज हम आपको यह बताने वाले है कि गणेश उत्सव में कौन-कौन सी व किस प्रकार की सामग्री का इस्तेमाल करना चाहिए|

11 दिन के ‘गणेश उत्‍सव’ में नहीं चढ़ाई यह सामग्री तो व्‍यर्थ जाएगी पूजा
देश में धूम-धाम से गणेश उत्‍सव का पर्व मनाया जा रहा है। इस उत्‍सव पर लोग भगवान गणेश की मूर्ति स्‍थापित करते हैं। पंडाल लगाकर मूर्ति विराजमान की जाती है। 25 अगस्त से गणेश उत्सव की शुरुआत हो रही है। इस बार यह उत्‍सव 10 दिनों के बजाए 11 दिन तक चलेगी। वैसे तो भगवान गणेश को कई चीजें पूजा के दौरान चढ़ाई जाती हैं, लेकिन दूर्वा का विशेष महत्‍व होता है। मान्‍यता है कि दूर्वा नहीं चढ़ाया गया तो तपस्‍या अधूरी रह जाती है। भगवान गणेश को तो दूर्वा काफी प्रिय है। लेकिन तुलसी का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
ये है मान्‍यता
मान्‍यता है कि प्राचीन समय में एक असुर रहा करता था जिसका नाम अनलासुर था। वह, इतना शक्तिशाली था कि स्वर्ग और पृथ्वी में आतंक मचा रखा था। ऋषि-मुनियों और आम लोगों को जिंदा ही खा जाता था। राक्षस के आतंक से तीनों लोकों में त्राहि-त्राहि मच गई। देवता राक्षस के विनाश को लेकर भगवान शंकर की शरण में पहुंचे।
तब शिवजी ने सभी देवी-देवताओं की बात सुनकर बताया कि अनलासुर का अंत केवल गणेश ही कर सकते हैं। इसके बाद भगवान गणेश ने अनलासुर को निगल लिया जिसकी वजह से उनकी पेट में जलन होने लगी जो शांत नहीं हो पा रही थी। तब कश्यप ऋषि ने दूर्वा की 21 गांठ बनाकर गणेश जी को खाने को दी। इसके बाद उनकी पेट की जलन शांत हो गई। तभी से गणेश जी को दूर्वा चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई।
इसलिए नहीं चढ़ती तुलसी
विष्णु पुराण के अनुसार एक बार तुलसी ने गणेश भगवान को देखकर उन पर मोहित हो गई और विवाह करने की इच्छा जाहिर की। लेकिन गणेशजी ने उनके प्रस्ताव को ठुकरा दिया। इस बात को लेकर तुलसी ने उन्हें गुस्से मे दो विवाह करने का श्राप दे दिया था।
तब गणेशजी ने भी तुलसी को श्राप देते हुए कहा कि तुम्हारा विवाह भी एक असुर से होगा। जिसके बाद तुलसी को अपनी गलती का एहसास हुआ और भगवान गणेश जी से माफी मांगी। तब उन्होनें ने कहा कि तुम कलयुग में मोक्ष देने वाली होगी लेकिन मेरी पूजा में तुलसी चढ़ना शुभ नहीं माना जाएगा। तभी से इसे वर्जित माना जाता है।

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