पूजा में आसान का महत्त्व

6 December, 2017
पूजा में आसान का महत्त्व

पूजा आदि कर्म में आसान का महत्त्व:-
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हमारे महर्षियों के अनुसार जिस स्थान पर प्रभु को बैठाया जाता है, उसे दर्भासन कहते हैं

और जिस पर स्वयं साधक बैठता है, उसे आसन कहते हैं।

योगियों की भाषा में यह शरीर भी आसन है और प्रभु के भजन में इसे समर्पित करना सबसे बड़ी पूजा है।

*जैसा देव वैसा भेष* वाली बात भक्त को अपने इष्ट के समीप पहुंचा देती है ।

कभी जमीन पर बैठकर पूजा नहीं करनी चाहिए, ऐसा करने से पूजा का पुण्य भूमि को चला जाता है।

नंगे पैर पूजा करना भी उचित नहीं है। हो सके तो पूजा का आसन व वस्त्र अलग रखने चाहिए जो शुद्ध रहे।

लकड़ी की चैकी, घास फूस से बनी चटाई, पत्तों से बने आसन पर बैठकर भक्त को मानसिक अस्थिरता, बुद्धि विक्षेप, चित्त विभ्रम, उच्चाटन, रोग शोक आदि उत्पन्न करते हैं।

अपना आसन, माला आदि किसी को नहीं देने चाहिए, इससे पुण्य क्षय हो जाता है।

*निम्न आसनों का विशेष महत्व है।

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