राखी बांधने का शुभ मुहूर्त

9 August, 2022
राखी बांधने का शुभ मुहूर्त

हमारे भारत मे सबसे ज्यादा रक्षाबंधन के त्यौहार को बहुत ही पवित्र माना जाता है क्योकि यह भाई बहन के पवित्र रिश्ते को समर्पित है| रक्षाबंधन के दिन बहने अपने भाइयो के हाथ पर राखी बांधती है और उससे अपनी रक्षा करने का वचन मांगती है| इसके साथ ही, वह अपने भाइयो की सुख-समृद्धि की कामना करती है|

राखी बांधने का शुभ मुहूर्त

ज्योतिष शास्त्र में हिन्दू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष रक्षाबंधन का त्यौहार 11 अगस्त 2022 यानि गुरुवार को मनाया जाएगा| गुरुवार के दिन 11 बजे से 12 बजकर 30 मिनट तक और 2 बजकर 05 मिनट से 3 बजकर 35 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त में राखी बांधने का शुभ मुहूर्त है|

भद्रा काल का समय

पंचांग के अनुसार, रक्षा बंधन के दिन 11 अगस्त को सुबह 10 बजकर 38 मिनट से शाम को 8 बजकर 52 मिनट तक भद्राकाल रहेगा| वैसे तो भद्राकाल में राखी बांधने से बचना चाहिए| लेकिन अगर बहुत जरूरी हो तो इस दिन प्रदोष काल में शुभ, लाभ, अमृत में से कोई एक चौघड़िया देखकर राखी बांध सकती हैं|

भद्रा काल मे राखी क्यों नही बांधते

भद्रा मे राखी बांधना वर्जित है| इसे राखी के त्यौहार के दिन अशुभ माना जाता है| पौराणिक कथा के अनुसार लंका नरेश की रावण की बहन ने उसे भद्राकाल मे राखी बांधी थी जिसके कारण रावण का सर्वनाश हो गया| शास्त्रों के अनुसार तभी से यह माना जाता है कि भद्रा काल मे राखी नही बांधनी चाहिए|

राखी बांधने की सही विधि

धार्मिक ग्रंथो के अनुसार मान्यता है कि राखी बांधते वक्त भाई का मुंह पूर्व दिशा की ओर और बहन का मुख पश्चिम दिशा में होना चाहिए| राखी बांधने के लिए सबसे पहले अपने भाई के माथे पर रोली-चंदन और अक्षत का टीका लगाएं| इसके बाद बहने भाई की घी के दीपक से आरती करें| उसके बाद राखी बांधकर उनका मुंह मीठा कराएं| इसके बाद अगर संभव हो तो सप्रेम भोजन के लिए आग्रह करें|

रक्षाबंधन के दिन रखे किन बातों का ध्यान

·        इस दिन काले कपड़े नही पहनने चाहिए|

·        टीका करते समय भाई का सिर रुमाल से ढका हुआ होना चाहिए|

·        भाई का चेहरा दक्षिण दिशा की ओर नही होना चाहिए|

·        टीका करने के बाद चावल लगाते है तो ध्यान रहे कि चावल टूटे हुए न हो|

·        भाई के कलाई पर राखी बांधते है तो ध्यान रखना है कि राखी के धागे की तीन गाँठे होनी चाहिए जोकि बहुत ही महत्वपूर्ण होती है| यह तीन गाँठे ब्रह्मा, विष्णु और महेश भगवान को संबोधित करती है| पहली गांठ भाई की उम्र और सेहत के लिए, दूसरी गांठ भाई की सुख-समृद्धि और तीसरी गांठ भाई के साथ बहन के रिश्ते को मजबूत करती है|

 

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