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एस्ट्रो वास्तु किताब
ज्योतिष व वास्तु का मेल ही एस्ट्रो-वास्तु है। एस्ट्रो-वास्तु पर काम करते समय जन्म कुंड़ली व प्रश्न कुंड़ली के साथ-साथ वास्तु नक़्शे का होना आवश्यक है। एस्ट्रो-वास्तु दोनों अपने आपमे पूर्ण विषय है। जातक की कुंड़ली से चल रही दशाओं से वास्तु की दिशा के ज्ञान में मदद मिलती है।
एस्ट्रो वास्तु के अंदर चल रही दशाओं, ग्रहों के आपसी दृष्टि संबंध को व्यक्ति के शरीर से जोड़ दिया जाता है। आधुनिक वास्तु नियमों को जन्म कुंड़ली से जोड़कर व्यक्ति के जीवन में कैसे संतुलन बनेगा और कैसे घर के सामान को किस दिशा में रखकर संतुलन बनाया जाएगा। ये सब बातें वर्णित है।
ज्योतिष व वास्तु अनेकों कारणों से एक दूसरे के पूरक है। जैसे तर्कसंगत कारणों से सदनों और निर्देशों के साथ इसका संबंध, ग्रह और मानव संबंध, ग्रहों का आपस में संबंध, 5 तत्व, 16 दिशाएं, 32 द्वार, 45 देवता, 81 पद आदि।
Technical Specifications | |
Publisher | IIAG JYOTISH SANSTHAN |
Language | Hindi |
Item Dimensions LxWxH | 23.1 x 19.3 x 1.5 Centimeters |
Item Weight | 500g |
Binding | Paperback |
Model No. | BO01IIAG00AV |
ISBN | 978-81-958103-5-2 |
Net Quantity | 1 |
No. of Pages | 250+ |
Country of Origin | India |